4 प्रमुख पहलू – विकास, ऊर्जा की जरूरतें, चुनौतियाँ और संभावनाएं“
अगर आप अपने लैपटॉप या मोबाईल के नीचे छू कर देखें तो संभावना है की वो हिस्सा गरम होगा और आपके लैपटॉप में ईमेल को डिस्प्ले करने से लेकर स्प्रेडशीट बनाने और कई एप्स को चलाने के लिए लैपटॉप को करोड़ों कैलकुलेशन करने पड़ते हैं जिसमे Energy यानि ऊर्जा लगती है और यही वजह है की जब हम देर तक काम करते हैं तो लैपटॉप की बैटरी जल्दी डिस्चार्ज हो जाती है ।
दुनिया भर के लाखों करोड़ों कंप्यूटर जो स्प्रेडशीट नहीं बना रहे बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी ai के लिए एल्गोरिथम बना रहे हैं इस एआई की मदद से वह दवाइयां बनाई जा सकती है जिससे सभी तरह के कैंसर का इलाज भी हो सकता है धरती के बढ़ते तापमान को रोकने में भी इससे मदद मिल सकती है और इतना ही नहीं बल्कि कई ऐसे काम जो इंसान नहीं करना चाहते वह भी आई की मदद से मशीन कर पाएंगे। मगर एआई को विकसित करने के लिए और करोड़ों कंप्यूटर को चलाने और उन्हें ठंडा रखने के लिए विशाल मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होगी।
तो आज हम यही जानेगे की क्या हमारे पास पूरी बिजली है ?
आज का ब्लॉग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास और इसके ऊर्जा संसाधनों पर पड़ने वाले प्रभावों पर आधारित है। इसमें यह बताया गया है कि AI की सहायता से कई समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।AI मॉडल और डाटा सेंटरों को चलाने में बड़ी मात्रा में बिजली खर्च होती है, जो कि एक बड़ी चुनौती है। विशेष रूप से, AI के विकास के लिए अत्यधिक मात्रा में कैलकुलेशन और प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती है, जिसके लिए विशाल कंप्यूटर और डाटा सेंटर बनाए जाते हैं।इसके साथ ही, भविष्य में सुपर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Super AI) के विकास की संभावना को लेकर एक अलग दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया है।
अगर इस तरह का AI विकसित होता है, तो यह संभवतः दुनिया की कई समस्याओं को हल कर सकता है, जिसमें ऊर्जा संकट भी शामिल है।दूसरी ओर, यह भी चिंता जताई है कि AI के बढ़ते उपयोग के चलते ऊर्जा की मांग इतनी बढ़ सकती है कि इसे पूरा करना मुश्किल हो जाए। वर्तमान में AI और डाटा सेंटर बिजली की भारी मात्रा का उपयोग कर रहे हैं, और यह बिजली खर्च समय के साथ और बढ़ सकती है। विशेष रूप से अफ्रीका के संदर्भ में, सौर और पवन ऊर्जा के स्रोतों का विकास हो रहा है, जो भविष्य में ऊर्जा की मांग को पूरा करने में मददगार हो सकते हैं।
AI के विकास के साथ ही संतुलन बनाना महत्वपूर्ण होगा ताकि इसके पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।कुल मिलाकर, AI की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नई रणनीतियों और संसाधनों की आवश्यकता होगी, जिसमें स्थायी ऊर्जा स्रोतों का विकास और उनके बेहतर उपयोग की योजनाएँ शामिल होंगी।
1.AI के विकास की दिशा: स्मार्ट समाधानों से मानवता के लिए नई संभावनाएं
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती प्रगति से विश्व में कई समस्याओं के समाधान की संभावनाएं बढ़ी हैं। AI एल्गोरिदम बड़ी मात्रा में डेटा को प्रोसेस करते हैं, जिससे यह सामान्य कंप्यूटर प्रोग्रामों की तुलना में कहीं अधिक कार्य कर सकते हैं। AI की शक्ति स्वास्थ्य सेवाओं में देखी जा सकती है, जहाँ मरीज की जांच के लिए डॉक्टर इसका सहायक के रूप में उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, दीपमाइंड का अल्फा फोल्ड प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी करता है, जिससे चिकित्सा क्षेत्र में नई संभावनाएं उभर रही हैं। AI प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान में भी मदद कर रहा है, जिससे मानवता को सतर्क करने और सुरक्षा बढ़ाने में सहायता मिल रही है। भविष्य में, AI के साथ क्वांटम कंप्यूटर्स का उपयोग जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को नियंत्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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ऊर्जा की जरूरतें: AI की प्रगति के साथ ऊर्जा संसाधनों पर बढ़ता दबाव
AI के अत्यधिक डेटा प्रोसेसिंग की जरूरत को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर बिजली की आवश्यकता होती है। जेनरेटिव AI मॉडल और बड़े डाटा सेंटर्स को चलाने के लिए विशाल मात्रा में ऊर्जा की खपत होती है। अनुमानित तौर पर, AI आज वैश्विक बिजली खपत का 8-10% हिस्सा उपयोग कर रहा है। जैसे-जैसे AI मॉडल और शक्तिशाली होते जाएंगे, ऊर्जा की मांग और भी बढ़ेगी। इससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर दबाव बढ़ेगा और नए ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता होगी। अगर इस समस्या का समाधान नहीं मिला, तो यह गंभीर समस्या बन सकती है।
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डाटा सेंटर और पर्यावरणीय प्रभाव: AI के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और इसका पर्यावरण पर असर
डाटा सेंटर चलाने के लिए भारी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है, जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। इन सेंटरों को ठंडा रखने के लिए भी भारी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, आयरलैंड में देश की कुल बिजली का 30% हिस्सा डाटा सेंटर में उपयोग हो रहा है। हालांकि, यह बिजली केवल AI में ही नहीं, बल्कि वीडियो और म्यूजिक स्ट्रीमिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे अन्य कार्यों में भी खर्च होती है। आने वाले कुछ सालों में, बिजली की मांग में 50% तक की वृद्धि का अनुमान है। कुछ देशों में सौर और पवन ऊर्जा के स्रोतों का विकास हो रहा है, जो इस ऊर्जा संकट का समाधान प्रदान कर सकते हैं।
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भविष्य की संभावनाएं: स्थायी ऊर्जा और अफ्रीका का उभरता हुआ योगदान
अफ्रीका में सौर और पवन ऊर्जा स्रोतों का विकास तेजी से हो रहा है, जिससे भविष्य में ऊर्जा की मांग को पूरा करने में मदद मिल सकती है। अगर अफ्रीकी देश डाटा सेंटर को अपनी ओर आकर्षित कर पाते हैं, तो इससे उनकी जनता को भी बिजली आपूर्ति में सुधार होगा। दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया में पहले से ही बड़े डाटा सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। AI के ऊर्जा संकट का समाधान अफ्रीका के उभरते ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से संभव हो सकता है। हालांकि, डाटा सेंटर के लिए ऊर्जा की मांग और पर्यावरणीय प्रभाव के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी होगा।
यह स्पष्ट है कि AI की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें सतत ऊर्जा स्रोतों का विकास करना होगा। साथ ही, हमें AI के उपयोग को नियंत्रित करने की दिशा में भी काम करना होगा, ताकि इसका उपयोग केवल आवश्यक कार्यों के लिए किया जाए।